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4 MLA वाले मांझी ने मांग ली है . लोकसभा की बहुत सारी सीटें, इसके बाद नीतीश कुमार की परेशानी बढती दिखाई दे रही है . आईये देखते है पूरा मामला .....

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पटना. 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लोहा लेने के लिये नीतीश कुमार हर वो जतन कर रहे हैं जिससे मोदी विरोधी दलों को एक मंच पर एक साथ लाया जा सके. इसके लिये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी शरद पवार की चौखट पर माथा टेक रहे हैं तो कभी ममता दीदी के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं लेकिन अब तक इस नये महागठबंधन का स्वरूप क्या होगा, राज्यों में सीटो का बंटवारा कैसे होगा, कौन कहां कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगा, ये फार्मूला तैयार नहीं हुआ है. सीटो के शेयरिंग का फार्मुला क्या होगा खुद नीतीश कुमार को भी पता नहीं होगा. Ads by इन सबसे पहले ही बिहार में नीतीश कुमार की सरकार में सहयोगी जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा ने पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक दिया है. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश कुमारी की कैबिनेट में मंत्री संतोष सुमन ने दावा किया है कि उनकी पार्टी की लोकसभा की सात से आठ सीटों पर पूरी तैयारी है और वो पांच सीटों पर चुनाव लड़ने के लिये पूरी तरीके से तैयार हैं. जाहिर है चार विधायकों वाली हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा (हम पार्टी) इस बार कम से कम पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने को ठानी है. जीतन राम मांझी के बेटे के इस दावे के बाद आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने जबाब देते हुये कहा है कि संतोष सुमन प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. इससे अच्छा तो होगा कि वो बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करें, जिससे महागठबंधन को सभी सीटों पर मजबूती मिलेगी. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा का मानना है कि आने वाले दिनों में कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा ये पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा. वैसे बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं, जिसमें फिलहाल आम चुनावों में बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं तो जेडीयू ने 16, एलजेपी 6 और काग्रेंस एक. इस बार बिहार में गठबंधन बदला हुआ है. नीतीश कुमार जो पिछली बार एनडीए के साथ थे, वो अब महागठबंधन के साथ हैं. जिनके पास पहले से 16 सांसद हैं, ऐसे में नीतीश कुमार इससे कम सीटों पर समझौता नहीं कर सकते हैं तो वही बिहार में 7 दलो का महागठबंधन है और इस गठबंधन में हम किसी से कम नहीं वाला फार्मुला जोड़ता हुआ दिख रहा है, ऐसे में नीतीश कुमार के लिये बिहार में सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा.