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Supreme Court: YS विवेकानंद रेड्डी के हत्या के आरोपी को तेलंगाना हाईकोर्ट की जमानत विरोधाभासी; CBI ने दी दलील

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जस्टिस पी एस नरसिम्हा और पंकज मिथल की अवकाश पीठ रेड्डी की बेटी सुनीता नरेड्डी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में टी गंगी रेड्डी उर्फ येर्रा गंगी रेड्डी को सशर्त जमानत देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई हुई। इस दौरान सीबीआई ने पूर्व मंत्री की हत्या के एक आरोपी को तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिये जाने विरोध में दाखिल पूर्व मंत्री की बेटी की याचिका का समर्थन किया है। साथ ही कहा कि हाईकोर्ट का आदेश ''निहित रूप से विरोधाभासी'' है। जस्टिस पी एस नरसिम्हा और पंकज मिथल की अवकाश पीठ रेड्डी की बेटी सुनीता नरेड्डी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में टी गंगी रेड्डी उर्फ येर्रा गंगी रेड्डी को सशर्त जमानत देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान दी गई दलीलें सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने पीठ से कहा कि 'हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि जमानत रद्द करने वाला आदेश जमानत की अनुमति देता है। यह कैसे संभव है? यह स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी है। बुधवार को सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने पीठ से कहा कि मैं सीबीआई का पक्ष रख रहा हूं। हम इस याचिका का समर्थन करते हैं। इस दौरान उन्होंने याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए पीठ से एक दिन का समय मांगा। उन्होंने अनुरोध किया कि अदालत मामले में शुक्रवार को सुनवाई कर सकती है। याची सुनीता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि जमानत रद्द करने की स्थिति में जमानत कैसे दी जा सकती है। वहीं, आरोपियों की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने भी जमानत रद्द करने के हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। अदालत ने कही यह बात मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा सीबीआई का पक्ष रख रहे एएसजी से कहा कि आप इस (याचिका) की एक प्रति तामील करें क्योंकि यदि उन्होंने इस आदेश की सत्यता को चुनौती दी है, तो हमें उन्हें सुनना होगा। हम यह नहीं कर सकते कि हम इसे अलग रख दें और फिर कल आपके आवेदन पर विचार करें। हम दोनों मामलों पर एक साथ सुनवाई करेंगे। इसके बाद पीठ ने मामले को 26 मई को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। गौरतलब है कि इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 18 मई को तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सीबीआई और आरोपियों को नोटिस जारी किया था। तेलंगाना हाईकोर्ट ने दिया था यह आदेश तेलंगाना हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था कि आरोपी नंबर 1 (टी गंगी रेड्डी) को 5 मई, 2023 को या उससे पहले आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है। उसके आत्मसमर्पण करने पर उसे 30 जून, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा। यह समयावधि सीबीआई द्वारा जांच पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई बाहरी सीमा है। अदालत ने यह भी कहा था कि यदि आरोपी पांच मई को या उससे पहले संबंधित अदालत के सामने आत्मसमर्पण नहीं करता है तो सीबीआई उसे कानून के तहत हिरासत में लेने और सीबीआई मामलों के प्रधान विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश करने के लिए स्वतंत्र है। और अगर आरोपी आत्मसमर्पण कर देता है तो अदालत को 1 जुलाई, 2023 को याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि आरोपी को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतदारों के लाने पर जमानत पर रिहा किया जाए। सबसे पहले सीबीआई पहुंची थी आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट इससे पहले शीर्ष अदालत ने गंगी रेड्डी की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं को नए फैसले के लिए तेलंगाना हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था। सीबीआई ने शुरू में जमानत रद्द करने के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। तब आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि उसके पास इसे रद्द करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। इसके बाद सीबीआई ने शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने 16 जनवरी को मामले को गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था। सीबीआई मामले में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य वाईएस अविनाश रेड्डी की भूमिका की भी जांच कर रही है। अविनाश रेड्डी वाई एस विवेकानंद रेड्डी के भतीजे और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी के चचेरे भाई हैं। 2019 में की गई थी पूर्व मंत्री की हत्या आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी के भाइयों में से एक विवेकानंद रेड्डी की राज्य में विधानसभा चुनाव से हफ्तों पहले 15 मार्च, 2019 की रात को कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी। हत्या के मामले की जांच शुरू में राज्य सीआईडी के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की गई थी, लेकिन जुलाई 2020 में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने 26 अक्टूबर, 2021 को हत्या के मामले में चार्जशीट दायर की थी और इसके बाद 31 जनवरी, 2022 को एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश पर 100 करोड़ रुपये के जुर्माने के एनजीटी के आदेश पर लगाई रोक सुप्रीम कोर्ट से आंध्र प्रदेश सरकार को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कर अवुलपल्ली जलाशय परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी हासिल करने के मामले में आंध्र प्रदेश पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और एम एम सुंदरेश की पीठ ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार को आठ सप्ताह की अवधि के भीतर अधिकारियों के पास 25 करोड़ रुपये जमा करना होगा।