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Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन चंद्रयान-3 की बुधवार की शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग हो गई।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन चंद्रयान-3 की बुधवार की शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग हो गई। इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने अंतरिक्ष यान को उतारा है। इस अंतरिक्ष अभियान पर दुनियाभर की नजरें टिकी हुईं थीं। इसे 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इस मिशन की सफलता पर विश्व मीडिया में क्या कहा, आइए जानते हैं- विश्व मीडिया ने इस मिशन की सफलता को प्रमुखता से जगह दी है। लेकिन, पड़ोसी पाकिस्तान के मीडिया में चंद्रयान-3 लीड खबर नहीं बनाया गया है। यहां भी उसकी छोटी सोच देखने को मिली है। न्यूयॉर्क टाइम्स, बीबीसी, द गार्डियन आदि ने इस खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया है। पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र 'डॉन' ने लिखा- भारत के चंद्रयान-3 लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को सफलतापूर्वक छू लिया, जिसे पानी और ऑक्सीजन का संभावित स्रोत माना जा रहा है। अखबार ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के हवाले से कहा कि इसरो ने अपने मुख्यालय में घोषणा की कि शक्ति का अवतरण शुरू हो गया है, जिसका स्वागत जयकारों और तालियों के साथ किया गया। 'अलजजीरा' ने लिखा- "भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक उतारा, ऐसा करने वाला यह पहला देश बन गया। पीएम मोदी ने कहा कि मिशन की सफलता पूरी मानवता की सफलता है।" अखबार लिखता है, "वैज्ञानिकों का मानना है कि दक्षिणी ध्रुव के अज्ञात क्षेत्र में जमे हुए पानी और कीमती तत्वों के महत्वपूर्ण भंडार हो सकते हैं। भारत में चांद की लैंडिंग को लाइव देखने के लिए दफ्तरों, दुकानों, रेस्तरां और घरों में टीवी के आसपास लोगों की भीड़ लगी हुई थी।" 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने शीर्षक लिखा- 'चंद्रमा पर लैंडिंग की दौड़, भारत दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर उतरने में पहले स्थान पर।' अखबार लिखता है, "भारत से विक्रम नाम का एक लैंडर और प्रज्ञान नाम का एक रोवर बुधवार को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में उतरे। चंद्रयान -3 नामक एक मिशन भारत को चंद्रमा की सतह के इस हिस्से तक पहुंचने वाला पहला देश बनाते है। वह चंद्रमा पर उतरने वाला केवल चौथा देश है।" अखबार आगे लिखता है, "भारतीय जनता पहले से ही देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर बहुत गर्व करती है, जिसने चंद्रमा और मंगल की परिक्रमा की है और नियमित रूप से अन्य देशों की तुलना में बहुत कम वित्तीय संसाधनों के साथ पृथ्वी के ऊपर उपग्रहों को लॉन्च करती है। लेकिन चंद्रयान-3 की उपलब्धि और भी मीठी हो सकती है।" 'द गार्डियन' ने अपनी खबर में लिखा- 'भारत एक ऐतिहासिक क्षण में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक उतारने वाला पहला देश बन गया है, जिसने देशभर में लोगों में खुशी का माहौल पैदा कर दिया। अखबार ने लिखा है कि भारत सरकार निजी अंतरिक्ष लॉन्च और संबंधित उपग्रह पर आधारित व्यवसायों में निवेश को बढ़ावा देना चाहती है।' 'बीबीसी' ने अपने शीर्षक में लिखा- 'चंद्रयान-3 ने रचा इतिहास, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा।' इसने लिखा, "जब 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की गई थी, तो इसका प्राथमिक लक्ष्य काफी सरल था - तूफानों की भविष्यवाणी करने, बाढ़ को कम करने और देश में दूरसंचार को मजबूत करने के लिए उपग्रहों को डिजाइन और लॉन्च करना। अब अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने चंद्रयान -3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन बनने के बाद इतिहास रच दिया है।" फ्रांस के प्रमुख समाचार पत्र 'ले मोंदे' ने अपना शीर्षक लिखा- 'चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बना भारत।' अखबार लिखता है कि रोवर के साथ एक लैंडर स्थानीय समयानुसार छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरा, जिससे दक्षिण भारतीय शहर बेंगलुरु में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के बीच खुशी और तालियां बजीं। करीब चार साल पहले एक असफल प्रयास के बाद भारत ने दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के पास उतरने वाला पहला देश बनकर इतिहास रच दिया है और चंद्रमा पर उतरने के मामले में अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के साथ शामिल हो गया है। सीएनएन' ने अपना शीर्षक लिखा- 'चांद पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना भारत।' इसने लिखा- "भारत ने चंद्रमा पर अपना चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान उतार दिया है, इस तरह की उपलब्धि हासिल करने वाला केवल चौथा देश बन गया है। यह मिशन अंतरिक्ष में वैश्विक महाशक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत कर सकता है। इससे पहले केवल अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग पूरी की है।" इसने आगे लिखा- चंद्रयान -3 की लैंडिंग साइट भी इतिहास में किसी भी अन्य अंतरिक्ष यान की तुलना में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब है। दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और रणनीतिक रुचि का क्षेत्र माना जाता है, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह क्षेत्र पानी के बर्फ के भंडार का घर है। 'वॉशिंगटन पोस्ट' ने अपने शीर्षक में लिखा- भारत ने चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यान को धीरे से उतारा। अखबार ने लिखा- भारत ने बुधवार को चंद्रमा पर एक रोबोटिक अंतरिक्ष यान उतारा। यह एक उपलब्धि है जो एक रूसी यान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ दिनों बाद आई है। बिना किसी अंतरिक्ष यात्री के भारत का अंतरिक्ष यान सुबह लगभग 8:30 बजे (अमेरिका के स्थानीय समयानुसार)चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा।