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भारत को आजाद हुए 76 साल हो गए देश को आजादी हासिल करने के लिए करनी पड़ी थी लम्बी लड़ाई , जाने क्या कुछ किया वीरों ने भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए

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Ten Big Freedom Movement Of India: आज भारत को आजाद हुए 76 साल हो गए हैं। इस आजादी को पाने के लिए कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने योगदान दिया। देश को आजादी हासिल करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। इस दौरान कई आंदोलन हुए जिसके बाद 15 अगस्त 1947 के दिन देश आजाद हुआ। ऐसे में आज हम आपको 10 बड़े आंदोलनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने आजादी में एक अहम भूमिका निभाई थी। शुरुआत करते हैं सन् 1857 से... 1. 1857 का विद्रोह प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जाना जाने वाला विद्रोह सन् 1857 में हुआ था। दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चलने वाला यह सशस्त्र विद्रोह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध था। मेरठ सहित देश के अलग-अलग छावनी क्षेत्रों में आगजनी और झड़पों से शुरू हुए इस विद्रोह ने आगे चलकर बड़ा रूप ले लिया। 2. नील विद्रोह साल 1859 से 60 तक बंगाल में हुआ नील-विद्रोह अंग्रेजी शासन के विरुद्ध किसानों का पहला संगठित और जुझारू विद्रोह था। हालांकि 19वीं शताब्दी के मध्य से भारत की आजादी तक कई किसान आंदोलन हुए थे। इनमें नील आंदोलन, दक्कन विद्रोह, पाबना आंदोलन, किसान सभा आंदोलन, मोपला विद्रोह, एका आंदोलन, बारदोली सत्याग्रह, तेलंगाना आंदोलन और तेभाग आंदोलन भी शामिल है। 3. जालिया वाला बाग कांड 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलिया वाला बाग में अंग्रेजी फौज ने निहत्थे लोगों पर गोलियां चला के सैकड़ों बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डालने वाली घटना यही जघन्य हत्याकांड था। 4. चौरीचौरा कांड भारत के इतिहास में कभी ना भूलने वाला काला दिन था 1 फरवरी, 1922। चौरीचौरा थाने के दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने इस दिन आजादी की लड़ाई लड़ने वाले बलिदानियों की खुलेआम पिटाई की थी। ऐसे में सत्याग्रहियों ने भी पुलिसवालों पर पथराव शुरू कर दिया और जवाबी कार्यवाही में पुलिसवालों ने भी खूब गोलियां चलाई। इस घटना में 260 लोगों की मौत हो गई। जब सत्याग्रहियों का गुस्सा फूटा को उन्होनें थाने में 23 पुलिसवालों को जिंदा जला दिया था। 5. असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में चलाया गया असहयोग आंदोलन सितंबर 1920 से फरवरी 1922 तक चला। जलियांवाला बाग जैसे अन्य नरसंहारों को देख असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई थी। 6. सविनय अवज्ञा आन्दोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ चलाए गए आंदोलनों में से एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी था। भारत को 1929 तक अहसास हो गया था कि ब्रिटेन देश को आजाद नहीं करेगा और औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की घोषणा पर भी अमल नहीं करेगा। ऐसे में कांग्रेस द्वारा सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई। 7. पूर्ण स्वराज की मांग लाहौर में रावी नदी के तट पर सन् 1929 में कांग्रेस द्वारा रावी अधिवेशन का आयोजन किया गया था। इस दौरान ब्रिटिश सरकार से पहली बार पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी, जिसके बाद उन्हें बड़ा झटका लगा था। 8. नमक सत्याग्रह/दांडी मार्च गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों में से एक नमक सत्याग्रह में 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया था। नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार का विरोध करते हुए यह मार्च निकाला गया था, जो ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत का बिगुल बन कर सामने आया। 9. आजाद हिंद फौज भारत को आजाद कराने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने 1942 में आजाद हिंद फौज सेना का गठन किया। इस फौज ने ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था। इस सेना ने देश को आजाद कराने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई और सुभाष चंद्र बोस इस फौज का महत्वपूर्ण स्तंभ थे। 10. भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाला भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था। इस आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। इस आंदोलन में पूरे देश की भागीदारी थी, जिसके बाद अंग्रेजों को अहसास हो गया कि वह भारत में अब लंबे समय तक नहीं टिक पाएंगे।