नई दिल्ली। देशभर के छात्रों और अभिभावकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। सभी 60 शिक्षा बोर्ड के लिए सरकार यूनिफार्म सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है। नई दिल्ली। देशभर के छात्रों और अभिभावकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। सभी 60 शिक्षा बोर्ड के लिए सरकार यूनिफार्म सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)2020 की सिफारिशों के तहत देश के सभी बोर्ड की परीक्षा प्रक्रिया, मूल्यांकन, पाठ्यक्रम और सभी बोर्ड को एक समानता देने की योजना है। राज्यों की सहमति बन जाती है तो फिर देश के सभी बोर्ड के नाम बेशक अलग होंगे, पर उनका कामकाज एक समान होगा। छात्रों को सबसे अधिक लाभ होगा। शिक्षा मंत्रालय, परख (राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र) और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के साथ पिछले दिनों मूल्यांकन पर पहली राष्ट्रीय स्तर की बैठक स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई है। एक यूनिफार्म सिस्टम पर राज्यों से मांगी राय परख को एनसीईआरटी के तहत संगठन के रूप में स्थापित किया गया है। यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूल बोर्डों को एक साझा मंच पर लाने का काम करेगा। पहली बैठक में शिक्षा मंत्रालय और परख द्वारा देश भर में स्कूल मूल्यांकन, परीक्षा पद्धतियों और बोर्डों की समानता विषय पर बात हुई। इसमें सभी राज्यों से उनके 60 स्कूल बोर्ड को एक यूनिफार्म सिस्टम पर लाने पर उनकी राय मांगी गयी है। अभी सभी बोर्ड की अलग-अलग परीक्षा और मूल्यांकन पद्धति होने से छात्रों को नुकसान होता है। कुछ का रिजल्ट बेहतरीन होता है तो कुछ बोर्ड के छात्रों के अंक अधिक आने के बाद भी उनको प्राथमिकता नहीं मिल पाती है। बैठक में शिक्षा मंत्रालय, सीबीएसई, एनसीईआरटी, एनआईओएस, एनसीवीईटी और एनसीटीई के अलावा राज्य शिक्षा सचिव, राज्य परियोजना निदेशक स्कूल, एससीईआरटी समेत देशभर के प्रदेश परीक्षा बोर्ड के अधिकारी शामिल हुए थे। परीक्षाएं-मूल्यांकन समान होने से छात्रों को मिलेगा लाभ स्कूल शिक्षा सचिव, भारत सरकार संजय कुमार ने बताया कि सभी स्कूल बोर्ड की एक समानता होनी जरूरी है। वर्तमान में देशभर में लगभग 60 स्कूल परीक्षा बोर्ड हैं, जो विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे हैं। हालांकि अलग-अलग परीक्षा और मूल्यांकन पद्धति होने से छात्रों को परेशानी होती है। इसलिए एक एकीकृत ढांचा स्थापित करना जरूरी है। यह विभिन्न बोर्ड या क्षेत्रों के बीच छात्रों के लिए एक समान व्यवस्था बनाएगा। इसमें पाठ्यक्रम मानकों को संरेखित करना, ग्रेडिंग सिस्टम, और मूल्यांकन के तरीकों में बदलाव की जरूरत है, ताकि विश्वसनीयता, प्रमाणपत्रों की मान्यता और बोर्डों में प्राप्त ग्रेड को बढ़ाया जा सके।
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