विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि पीएम मोदी और मिजोकामी के बीच बातचीत हुई। जापान में भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने और दोनों देशों को करीब लाने में योगदान के लिए पीएम ने मिजोकामी की सराहना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान के हिरोशिमा पहुंच गए हैं। वह जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के न्योते पर हिरोशिमा आएं हैं। दरअसल जापान, जी-7 समूह के मौजूदा अध्यक्ष के रूप में इसके शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है और भारत को इसमें अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस दौरान, पीएम मोदी ने प्रसिद्ध जापानी लेखक पद्मश्री डॉक्टर तोमियो मिजोकामी से मुलाकात की। पीएम मोदी ने की तारीफ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि पीएम मोदी और मिजोकामी के बीच बातचीत हुई। जापान में भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने और दोनों देशों को करीब लाने में योगदान के लिए पीएम ने मिजोकामी की सराहना की। पीएम नरेंद्र मोदी ने तोमियो से हुई मुलाकात को लेकर कहा कि हिरोशिमा में प्रोफेसर तोमियो मिजोकामी के साथ बातचीत करके बहुत खुशी हुई। वह एक प्रतिष्ठित हिंदी और पंजाबी भाषाविद् हैं। जापानी चित्रकार हिरोको से भी की मुलाकात उन्होंने जापान के लोगों के बीच भारतीय संस्कृति और साहित्य को लोकप्रिय बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमुख जापानी चित्रकार हिरोको ताकायामा से भी बातचीत की। पीएम ने कहा कि उन्होंने भारत के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाली सम्मानित कलाकार हिरोको ताकायामा से मुलाकात की। मोदी ने कहा कि ताकायामा ने भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। बता दें, जापानी चित्रकार हिरोको ने मुलाकात के दौरान अपनी कलाकृति भी पीएम मोदी को भेंट की। जापानी चित्रकार हिरोको ताकायामा ने भारत के पीएम मोदी से हुई मुलाकात के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने मेरी पेंटिंग की तारीफ की। उन्होंने कहा कि वह बहुत खूबसूरत है। इसे स्वीकार करके उन्हें बहुत खुशी हुई। ताकायामा ने कहा कि मैं 42 साल पहले पहली बार भारत आई थी। मैं भारत की धरती पर रह रहे लोगों के जज्बे से बहुत प्रभावित हुई। तब से मैं भारतीय लोगों और संस्कृति की ऊर्जा और प्रार्थना का संचार कर रही हूं जो मुझे उनसे प्राप्त हुआ। गौरतलब है, भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक संबंध भी रहे हैं। चाहें वो कला की बात हो, साहित्य की बात हो या फिल्म की बात हो। इन तमाम क्षेत्रों में भारत-जापान के बीच के रिश्ते मजबूत है। ऐसे में, भारत के राष्ट्रपति से सम्मान प्राप्त कर चुके मिजोकामी और पीएम मोदी की मुलाकात साहित्य को एक और नई दिशा में ले जा सकती है। आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं डॉक्टर तोमियो मिजोकामी, जिन्हें भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिल चुका है। 12 मई 1941 में जन्में तोमियो मिजोकामी आज जापान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने लेखन की वजह से जाने जाते हैं। तोमियो मिजोकामी फिलहाल जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस के तौर पर कार्यरत हैं। सन् 1983 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से 'लैंग्वेज कान्टैक्ट इन पंजाब- ए सोशियोलिंगग्विस्टिक स्टडी ऑफ माइग्रन्ट्स लैंग्वेज' विषय में पीएचडी की थी। विदेशी भाषाएं पढ़ाते हैं बाद में, जून और अगस्त 1994 के बीच तोमियो मिजोकामी कैलिफोर्निया चले गए थे। वहां उन्होंने ग्रीष्मकालीन गहन पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पंजाबी पढ़ाई। इसके बाद उन्हें जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में भारतीय भाषाओं के प्रोफेसर के रूप में काम मिला। यहां उन्होंने अपनी भाषा को लेकर एक अलग पहचान बनाई, जिसकी वजह से साल 2007 में रिटायर होने के बाद भी विश्वविद्यालय ने उन्हें विदाई नहीं दी। दरअसल, उन्हें ओसाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिटस के तौर पर रखा। वे यहां विदेशी भाषाएं पढ़ाते हैं। बता दें, एमेरिटस प्रोफेसरों के लिए एक मानद उपाधि है जो सेवानिवृत्ति के बाद छात्रवृत्ति में सक्रिय रहना चाहते हैं । इतनी सारी भाषाओं का ज्ञान तोमियो मिजोकामी को कई भाषाएं आती हैं, जिसकी वजह से उनकी पूरी दुनिया में एक अलग पहचान है। उन्हें अपनी मातृभाषा जापानी के अलावा अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, पंजाबी, उर्दू, मराठी, गुजराती, तमिल, सिन्धी, कश्मीरी, जर्मन और फ्रान्सीसी भाषाएं आती हैं। उन्होंने जापानी भाषा में सिख प्रार्थना जपजी साहिब करने वाले का अनुवाद किया और वे ऐसा करने वाले पहले जापानी-पंजाबी शोधकर्ता हैं। इस साल मिला था सम्मान साल 2018 में उन्हें भारत बुलाया गया, जहां उनका भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। दरअसल, साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए 2 अप्रैल 2018 को नागरिक निवेश समारोह में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया था।
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