एमएलसी चुनाव के परिणाम ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि चुनावी नतीजे अब जातिगत समीकरण के भरोसे तय नहीं होंगे, संगठन की ताकत, एकजुटता और समर्पण ही जीत-हार का आधार होगा। गोरखपुर-फैजाबाद ही नहीं एमएलसी की पांच में से चार सीटों पर विजय पताका फहराने वाली भाजपा इस कसौटी पर इस बार भी खरी उतरी। चुनाव पर किसी की मजबूत पकड़ नजर आई तो वह भाजपा थी। सपा न केवल बिखरी रही बल्कि विपक्षियों की अंदरुनी एका को भी सहेजने में नाकाम रही।
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