सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को फ़ैसला सुनाया कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार बनी रहेगी. वहीं कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के पक्ष में कहा कि राज्यपाल ने फ़्लोर टेस्ट का जो फ़ैसला लिया था वह ग़लत था, लेकिन इस टेस्ट का सामना करने से पहले ही उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. क्या यह पूरी कहानी उद्धव ठाकरे के लिए अलग हो सकती थी? क्या वे मुख्यमंत्री फिर से बन सकते थे? इसका जवाब देते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने ख़बर की है. अख़बार के मुताबिक़ पिछले साल 23 जून को महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक भावुक भाषण दिया, जिसके बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री आवास वर्षा को छोड़ दिया. वह बुधवार की रात, उद्धव ठाकरे के राजनीतिक जीवन के सबसे अहम पड़ावों में से एक मानी जाती है, क्योंकि उस दिन सैकड़ों शिवसैनिक मुंबई की बारिश का सामना करते हुए अपने मुख्यमंत्री का साथ देने पहुंचे थे. मालाबार हिल्स स्थित सरकारी आवास से अपने घर मातोश्री तक के क़रीब 15 किलोमीटर लंबे रास्ते में हर जगह शिवसेना के कार्यकर्ता खड़े नजर आ रहे थे. इस सब की वजह एकनाथ शिंदे थे. उनके नेतृत्व में 21 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ उनकी पार्टी के ही 16 विधायकों ने बग़ावत कर दी थी. एक हफ्ते बाद यानी 30 जून को उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट का सामना करना था, लेकिन एक दिन पहले ही उद्धव ठाकरे ने लोगों से बात करने की घोषणा की. अपने संबोधन में इस्तीफ़े की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, "यह लोकतंत्र का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है कि लोगों का इस्तेमाल सिर्फ़ यह गिनने के लिए किया जाता है कि किसके पास बहुमत है. मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है."
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