चीन की अर्थव्यवस्था अब गहरे संकट में है। यहां के सबसे बड़े संपत्ति डेवलपरों में से एक कंट्री गार्डेन ने इस साल की पहली छमाही में अपना 7.6 अरब डॉलर का नुकसान होने का अंदेशा जताया है। इससे पहले अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का 40 साल से जारी विकास का सफल मॉडल अब बिखर गया है। इस बीच हमें जानना जरूरी है कि चीनी अर्थव्यवस्था को लेकर क्या रिपोर्ट्स आई है? इसमें क्या कहा गया है? चीन के किन क्षेत्रों में गिरावट आई है? अर्थतंत्र में ढील की वजह क्या है? चीनी अर्थव्यवस्था का भविष्य क्या है? चीनी अर्थव्यवस्था को लेकर क्या रिपोर्ट्स आई हैं? ताजा रिपोर्ट्स देश के एक बड़े डेवलपर कंट्री गार्डेन से जुड़ी है जो करीब तीन लाख लोगों को रोजगार देता है। कंट्री गार्डेन ने कहा है कि इस साल की पहली छमाही में उसे 7.6 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स में इसका दावा किया गया है। कंट्री गार्डेन ने हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में निवेशकों को चेतावनी दी कि जून तक छह महीनों में 45 बिलियन से 55 बिलियन चीनी युआन (लगभग 6.2 बिलियन अमरीकी डालर से 7.6 बिलियन अमरीकी डॉलर) का नुकसान की आशंका है। पिछले साल की इसी अवधि में कंपनी को लगभग 1.9 बिलियन युआन (264 मिलियन अमरीकी डॉलर) का लाभ हुआ था। इस खुलासे ने कंट्री गार्डेन के वित्तीय संकट को उजागर किया है, जो चीन में सालाना सैकड़ों हजारों घर तैयार करने वाला एक बड़ा बिल्डर है। कंपनी के बाद एक बड़ा कर्ज है जिसकी तुलना दुनिया के सबसे ऋणग्रस्त संपत्ति समूह एवरग्रांडे से की जा रही है। कंपनी हाल के हफ्तों में चीन की आर्थिक परेशानियों का एक और संकेत देती है, क्योंकि यह डिफॉल्ट होने के कगार पर है। अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट में क्या है? इससे पहले, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रविवार को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि चीन ऐसे समय में प्रवेश कर रहा है जहां उसकी आर्थिक गति बहुत धीमी होगी। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि देश अपने विदेशी निवेश और व्यापार को खतरे में डाल रहा है। यह आर्थिक कमजोरी छोटी अवधि की बजाय लंबे समय तक जारी रह सकती है। रिपोर्ट के अनुसार अब चीन के आर्थिक विकास का मॉडल टूट गया है। बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के आंकड़ें बताते हैं कि सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के विभिन्न स्तरों सहित कुल ऋण 2022 तक चीन के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 300 प्रतिशत तक पहुंच गया। यह ऋण अमेरिकी स्तर को भी पार कर गया जो 2012 में 200 प्रतिशत से कम था। देश के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) ने जून में कहा था कि 2023 की पहली छमाही (एच1) में चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना आधार पर 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एनबीएस के अनुसार, पहली छमाही में चीन की जीडीपी 59.3 ट्रिलियन युआन (लगभग 8.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गई। चीन की आधिकारिक मीडिया ने एनबीएस के हवाले से कहा कि दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी सालाना आधार पर 6.3 प्रतिशत बढ़ी। इस बीच, चीन ने भी बीते सोमवार को इस साल दूसरी बार अपनी एक साल की ऋण प्रधान दर (एलपीआर) को 10 आधार अंक घटाकर 3.55 प्रतिशत से 3.45 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही चीनी अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि को पुनर्जीवित करने के लिए पांच साल की दर में कोई बदलाव भी नहीं किया, जो फिलहाल 4.20 प्रतिशत है। दशकों तक, चीन ने कारखानों, गगनचुंबी इमारतों और सड़कों में निवेश करके अपनी अर्थव्यवस्था को संचालित किया। इस मॉडल ने विकास के एक असाधारण दौर को जन्म दिया जिसने चीन को गरीबी से बाहर निकाला और इसे एक वैश्विक दिग्गज कंपनी में बदल दिया, जिसकी निर्यात क्षमता दुनियाभर में फैल गई। हालांकि, चीन का यह मॉडल अब बिखर गया है। किन क्षेत्रों में गिरावट आई है? हांगकांग का हैंग सेंग (एचएसआई) सूचकांक मंदी की चपेट में है। शुक्रवार को यह जनवरी में अपने हालिया उच्चतम स्तर से 20 फीसदी से अधिक गिर गया। पिछले हफ्ते चीनी युआन 16 वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर गिर गया। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस साल की शुरुआत में कोविड लॉकडाउन हटने के बाद गतिविधियों में तेजी से बढ़ोतरी के बाद भी विकास रुक रहा है। उपभोक्ता कीमतें गिर रही हैं, रियल एस्टेट संकट गहरा रहा है और निर्यात में गिरावट आ रही है। युवाओं में बेरोजगारी की स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि सरकार ने आंकड़े ही प्रकाशित करना बंद कर दिया है। नोमुरा, मॉर्गन स्टेनली और बार्कलेज के शोधकर्ताओं ने पहले अपने पूर्वानुमानों में कटौती की थी। इसका मतलब है कि चीन लगभग 5.5% के अपने आधिकारिक विकास लक्ष्य से चूक सकता है। संपत्ति के क्षेत्र में बढ़ रहा घाटा चीन की अर्थव्यवस्था अप्रैल से मंदी में है, लेकिन इस महीने प्रॉपर्टी बिक्री के मामले में देश की सबसे बड़ी डेवलपर कंपनी कंट्री गार्डन और शीर्ष ट्रस्ट कंपनी झोंगरोंग ट्रस्ट के डिफॉल्ट के बाद चिंताएं तेज हो गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंट्री गार्डन ने दो अमेरिकी डॉलर बांड पर ब्याज भुगतान में चूक की है, जिससे निवेशक घबरा गए। चीन ने रियल एस्टेट बाजार को पुनर्जीवित करने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। लेकिन यहां तक कि इस क्षेत्र की मजबूत कंपनियां भी अब डिफाल्ट के कगार पर हैं। इस महीने की शुरुआत में झोंगरोंग ट्रस्ट कम से कम चार कंपनियों को लगभग 19 मिलियन डॉलर मूल्य के निवेश उत्पादों को चुकाने में विफल रहा है। चीनी सोशल मीडिया पर वीडियो में देखा गया कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने हाल ही में ट्रस्ट कंपनी के कार्यालय के बाहर उत्पादों पर भुगतान की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन भी किया। स्थानीय सरकारों का ऋण एक और बड़ी चिंता स्थानीय सरकारों का कर्ज है। संपत्ति में गिरावट के कारण जमीन सौदों से होने वाले भूमि बिक्री राजस्व में काफी कमी आई है। लॉकडाउन के लंबे समय तक लागू होने के नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। इन मिली जुली वजहों ने स्थानीय सरकारों के ऋण संकट को काफी हद तक बढ़ दिया है। यह संकट न केवल चीनी बैंकों के लिए बड़ा जोखिम पैदा करता है, बल्कि विकास को गति देने और सार्वजनिक सेवाओं का विस्तार करने की सरकार की क्षमता को भी प्रभावित करता है। उसने कोई भी बड़ा कदम उठाने से परहेज किया है जिससे इस क्षेत्र को राहत मिले। अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने कहा है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान चीन अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कर्जदार हो गया है। घटती आबादी भी एक चिंता चीन को कुछ दीर्घकालिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे जनसंख्या संकट और अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ तनावपूर्ण संबंध। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग की एक इकाई द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया कि देश की कुल प्रजनन दर पिछले साल घटकर 1.09 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है, जो दो साल पहले 1.30 थी। इसका मतलब है कि चीन की प्रजनन दर अब जापान से भी कम है, जहां लंबे समय से वृद्धों की संख्या काफी ज्यादा है। इस साल की शुरुआत में जब चीन ने आंकड़े जारी किये तो पता चला कि उसकी जनसंख्या पिछले साल छह दशकों में पहली बार घटनी शुरू हो गई है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के विश्लेषकों ने पिछले सप्ताह एक शोध रिपोर्ट में कहा कि चीन की पुरानी जनसांख्यिकी इसकी आर्थिक विकास क्षमता के लिए बड़ी चुनौतियां पेश करती है। श्रम आपूर्ति में गिरावट और स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक खर्च के बढ़ने से व्यापक राजकोषीय घाटा होगा जिससे देश का ऋण बोझ और बढ़ेगा। चीनी अर्थव्यवस्था का भविष्य क्या है? अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में चीन की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर चार फीसदी से कम हो सकती है। यह विकास दर पिछले चार दशकों के अधिकांश समय की तुलना में आधे से भी कम है। लंदन स्थित शोध कंपनी कैपिटल इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि चीन की ट्रेंड ग्रोथ 2019 में पांच से घटकर तीन फीसदी हो गई है और 2030 में गिरकर लगभग दो फीसदी हो जाएगी। उन दरों पर, चीन 2035 तक अर्थव्यवस्था के आकार को दोगुना करने के निर्धारित उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहेगा। इसका मतलब यह हो सकता है कि चीन अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में नहीं पछाड़ सकता, जो इसकी दीर्घकालिक महत्वाकांक्षा है।
Articles