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सीतलवाड़ ने कहा कि 'कल मुझे बंगलुरू के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान में अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा।

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सीतलवाड़ ने कहा कि 'कल मुझे बंगलुरू के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान में अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा। कुछ प्रोफेसर्स और छात्रों ने मुझे सीसीई हॉल में सांप्रदायिक सद्भाव और न्याय विषय पर लेक्चर देने के लिए बुलाया था। मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि बंगलुरू स्थित प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान में उन्हें बैठक करने से रोका गया। सीतलवाड़ ने कहा कि संस्थान में होने वाली उनकी बैठक को अंतिम समय में बर्खास्त कर दिया गया। तीस्ता सीतलवाड़ को 'सांप्रदायिक सद्भाव और न्याय' विषय पर अपने विचार रखने थे। मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि बंगलुरू स्थित प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान में उन्हें बैठक करने से रोका गया। सीतलवाड़ ने कहा कि संस्थान में होने वाली उनकी बैठक को अंतिम समय में बर्खास्त कर दिया गया। तीस्ता सीतलवाड़ को 'सांप्रदायिक सद्भाव और न्याय' विषय पर अपने विचार रखने थे। ब्रेक द साइलेंस' संगठन ने आयोजित की थी बैठक खबर के अनुसार, 'ब्रेक द साइलेंस' नामक संगठन ने बुधवार शाम में भारतीय विज्ञान संस्थान में यह बैठक बुलाई थी। यह बैठक संस्थान के सीसीई लेक्चर हॉल में आयोजित होनी थी। तीस्ता सीतलवाड़ का आरोप है कि आखिरी समय में यह बैठक रद्द कर दी गई और उन्हें हॉल में जाने से रोक दिया गया। सीतलवाड़ का आरोप है कि संस्थान की कैंटीन के बाहर बगीचे में उन्हें यह बैठक करनी पड़ी। सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश के जरिए तीस्ता सीतलवाड़ ने यह बात कही। बगीचे में करनी पड़ी बैठक सीतलवाड़ के अनुसार 40 छात्र और प्रोफेसर्स उनके लेक्चर में शामिल हुए। सीतलवाड़ ने कहा कि 'कल मुझे बंगलुरू के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान में अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा। कुछ प्रोफेसर्स और छात्रों ने मुझे सीसीई हॉल में सांप्रदायिक सद्भाव और न्याय विषय पर लेक्चर देने के लिए बुलाया था। हालांकि अंतिम समय में प्रशासन ने इस बैठक को रद्द कर दिया। इसके बावजूद 40 से ज्यादा छात्र और प्रोफेसर्स ने कैंटीन के बाहर बगीचे में बैठकर न्याय, शांति, सांप्रदायिक सद्भाव जैसे मुद्दों पर चर्चा की। सीतलवाड़ ने कहा कि 21वीं सदी में सांप्रदायिक सद्भाव कोई अनजान शब्द नहीं होना चाहिए।' भारतीय विज्ञान संस्थान प्रशासन ने अभी तक इस पूरे मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ को बीते महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बेकसूर लोगों को फंसाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मामले में जमानत दी है।