उपायुक्त धीरेंद्र खरगटा का कहना है कि लोग अपने प्रतिष्ठान समय से खोलना शुरू करें। यदि अतिरिक्त पुलिस बल की आवश्यकता है तो वह जिला प्रशासन उपलब्ध कराएगा। सोमवार से बैंकों को भी खोल दिया गया है। जल्द ही शिक्षण संस्थान खोलने को लेकर निर्णय लिया जाएगा। एक सवाल पर एसपी ने दो टूक कहा कि जाति या धर्म देखकर उपद्रवियों के लिए नही नरमी नहीं बरती जाएगी। 31 जुलाई को हुई हिंसा के बाद हालात पटरी पर लाने के लिए प्रशासन दिन रात लगा हुआ है। सोमवार को सोमवार को जिला उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा एवं पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया क्षेत्र की शांति व्यवस्था का जायजा लेने तावडू पहुंचे। कस्बे के प्रभावशाली लोगों के साथ हुई बैठक में एसपी ने कहा हम सभी की जिम्मेदारी है कि शांति व्यवस्था मजबूत करने में आगे आए। एक सवाल पर एसपी ने दो टूक कहा कि जाति या धर्म देखकर उपद्रवियों के लिए नही नरमी नहीं बरती जाएगी। जो भी हिंसा में शामिल रहा है उसे खोज कर पकड़ा जा बंकर से भी खोज लेंगे। स्वजन गिरफ्तार कराने में मदद कर नहीं तो आगे भी कार्रवाई हाे सकती है। इस अवसर पर पूर्व विधायक शहीदा खान, पूर्व सरपंच नरेंद्र टोकस, हैफेड चेयरमैन राजेश सहरावत उर्फ रज्जू, पूर्व नगर पालिका वाइस चेयरमैन सवाई सिंह सहरावत, सरपंच अजहरूद्दीन, पूर्व चेयरमैन अब्बास बावला आदि ने अपने विचार रखें और जिला अधिकारियों को भी शांति व्यवस्था बहाल करने में उनकी तरफ से पूरा सहयोग करने का भरोसा दिलाया। हिंदू संगठनों से जुड़े कुछ लोगों ने शांति वार्ता की इस बैठक से दूरी बनाए रखी। अंत में शहर थाना परिसर में अधिकारियों संग चर्चा की। उपायुक्त धीरेंद्र खरगटा ने कहा कि यदि आप लोग प्रशासन का सहयोग करोगे तो जल्द ही क्षेत्र के हालात सामान्य हो जाएंगे। फिलहाल प्रतिदिन तीन घंटे कर्फ्यू में ढील दी जा रही है। यदि सब कुछ सही रहा तो कर्फ्यू को भी हटा लिया जाएगा। यह आप लोगों के ऊपर निर्भर करता है कि आपसी भाईचारे को किस प्रकार बनाए रखते हैं। पूर्व विधायक शहीदा खान ने बताया कि उन्हें यह बताते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है कि उनका गांव जो मादक तस्करी व अपराधियों का गढ़ बन गया था। जिससे शिकारपुर गांव की जिला क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में बदनामी हो रही थी। आपसी सहयोग व प्रशासन की मदद से अब उनके गांव में इस तरह के अनैतिक कार्यों पर पूरी तरह रोक लग चुकी है। यह सुनकर मौके पर बैठे गणमान्य लोगों ने तालियां बजाकर उनके द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। वहीं पूर्व सरपंच नरेंद्र टोकस ने कहा कि तावडू का यह क्षेत्र शुरू से ही प्रशासन का मददगार रहा है। आगे भी क्षेत्र के लोगों द्वारा जिला प्रशासन का पूरा सहयोग किया जाएगा। जिले में तावडू अकेला ऐसा क्षेत्र है जहां हिंदू और मुस्लिम बराबर हैं। उसके बावजूद भी यहां के हालात शांतिपूर्ण बने हुए हैं। एक युवा ने कहा कि लोगों में पुलिस का इतना खौफ हो चुका है कि बीते एक सप्ताह से गांव खाली हो चुके हैं। लोग खेतों में और जंगलों में रात बिता रहे हैं। इस पर तुरंत पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया ने कहा कि किसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है। जो दोषी है वह बख्शा नहीं जाएगा और जो निर्दोष है उसे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं। जिनका दंगों से कोई वास्ता नहीं है वह अपने घरों पर ही रहें। हालांकि हिंदू संगठनों के कुछ लोगों ने इस सर्व समाज की बैठक से दूरी बनाए रखी। उन्होंने अलग से शहर थाना परिसर में जिला अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्याएं रखी। हिंदू समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारे ही ऊपर अत्याचार और हमारे ही युवाओं की दंगों में जान गई। हमारे ही युवाओं को पुलिस उठा रही है। यह कहां का न्याय है। इसका जवाब देते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हमारी जो व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं उन पर कर्मचारी कौन हैं। क्या हम उन्हें हटाकर अपने काम धंधे उसी प्रकार चला सकते हैंः ऐसे कई लोग आप में से ही होंगे जिनके दुकान,अस्पताल या अन्य प्रतिष्ठानों पर मुस्लिम युवा काम कर रहे होंगे। हमारी अधिकतर दुकानों के ग्राहक भी मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। क्या एक दूसरे के बिना हम सब रह पाएंगे यदि रह पाएंगे तो कब तक रह पाएंगे। इस पर सवाल पर सभी ने चुप्पी साध ली। इस अवसर पर एसडीएम तावडू संजीव कुमार, तहसीलदार तावडू प्रदीप देशवाल, अनिल सोनी, राजेंद्र यादव उर्फ लाला जी कलवाड़ी, राजू रोहिल्ला, अंकित मंगला, सुरेंद्र कुमार, सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। उपायुक्त धीरेंद्र खरगटा का कहना है कि- अपने प्रतिष्ठान समय से खोलना शुरू करें। यदि अतिरिक्त पुलिस बल की आवश्यकता है तो वह जिला प्रशासन उपलब्ध कराएगा। सोमवार से बैंकों को भी खोल दिया गया है। जल्द ही शिक्षण संस्थान खोलने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
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