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Odisha Train Accident: फोन रखा और सब खत्म ,4 घंटे पहले की थी पत्नी और बच्चे से वीडियो कॉल....

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कोरोमंडल ट्रेन हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो गई है. कई शव ऐसे हैं जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. इस बीच पश्चिम बंगाल की ये दर्दनाक दास्तां रुला रही हैं. काश सफीक उस दिन ट्रेन में ना चढ़ते. काश उनका चेन्नई जाना कैंसिल हो गया होता. काश मैंने उन्हें रोक लिया होता. काश….. सफीक की बीवी के पास अफसोस करने के अलावा अब कोई चारा नहीं. उनके पति हमेशा-हमेशा के लिए जा चुके हैं. 4 साल के बेटे के सिर से पिता का साया हमेशा-हमेशा के लिए उठ चुका है. सफीक काजी पेशे से राजमिस्त्री थे. उम्र सिर्फ 25 साल. बर्धवान में बाराशूला के कुमिरकोला गांव के रहने वाले सफीक काम के सिलसिले में शुक्रवार को कोरोनामंडल से चेन्नई जाने के लिए रवाना हुए थे. शुक्रवार की दोपहर के करीब 3-3.30 बज रहे होंगे जब उन्होंने पत्नी और बच्चे से वीडियो कॉल पर बात हुई. उसके बाद ना तो वो खुद आए और ना ही उनका फोन. आई तो बस एक खबर कि उनकी ट्रेन हादसे का शिकार हो गई थी. शुक्रवार को रातभर इधर-उधर फोन करते रहे लेकिन सफीक का कोई पता नहीं चला. सफीक के बड़े भाई बाबू काजी ने फैसला किया वो खुद जाकर उन्हें ढूंढेंगे. दूसरा शख्स अस्पताल में भर्ती शनिवार की सुबह निकले और दिनभर अपने भाई को ढूंढा. दोपहर तक उन्हें पता चल गया था कि उनका भाई अब नहीं रहा. बाबू काजी टूट गए. हिम्मत जुटाकर सफीक की पत्नी को फोन किया और उनके निधन की जानकारी दी. सफीक के साथ ट्रेन में नूर नाम का शख्स भी था. उसे भी गंभीर चोटें आई हैं. वो अस्पताल में भर्ती है. वहीं बाबू को भाई की मौत की खबर तो मिल गई लेकिन उसका शव अभी तक नहीं मिला था. शव की तलाश में इधर-उधर भटकते रहे. कई अस्पतालों में खाक छानी. एक-एक शव का चेहरा देखा, मगर कोई पता नहीं चला. आखिर में एक अस्पताल के मुर्दाघर में लाशों की ढेर के बीच उन्हें उनके भाई का जमा हुआ शव मिला. सफीक की पत्नी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अपने पैरों पर घर से जाने वाले सफीक की वापसी ताबूत में होगी.