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'सूखी' साबित हुई नल-जल योजना ,मध्य प्रदेश के इस जिले में नाले का पानी पीने पर मजबूर हुए ग्रामीण

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मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में कुछ गांव के लोग प्रसाशन के भ्रष्टाचार की कीमत नाले का पानी पीकर चुका रहे हैं। यहां सरकार की नलजल योजना का पानी निकल गया। एक गांव में तो 80 लाख की योजना से केवल 8 दिन ही पानी मिल पाया। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में दिनोदिन जलसंकट गहराता ही जा रहा है। आलम यह है कि जिले के कई ग्रामों में अभी से भीषण जलसंकट के हालात बने हुए हैं। नलजल योजनाएं ठप्प पड़ी हुई हैं, साथ ही हैंडपंप भी सूख गए हैं। ऐसे में ग्रामीण नदी नालों का दूषित पानी पीकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं। जलसंकट से जूझ रहे गांव के लोगों ने स्थानीय से लेकर जिला स्तर तक अधिकारियों से तमाम शिकायतें की हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जानकर भी अंजान बने बैठे हैं। नल-जल योजना में हुआ भारी भ्रष्टाचार राज्य के डिंडौरी जिले में मेंहदवानी जनपद के कनेरी ग्राम पंचायत में एक साल पहले ही जल जीवन मिशन योजना के तहत 84 लाख रूपये की लागत से पानी टंकी निर्माण और पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा किया गया था। इसके साथ ही 269 घरों में नल कनेक्शन किये गए थे लेकिन इस नल-जल योजना में इस कदर भ्रष्टाचार किया गया कि शुरूआती दिनों में ही लोगों को पानी नसीब हो पाया। अब पिछले करीब 9 महीने से नलजल योजना पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है। भीषण गर्मी में हैंडपंपों ने भी जवाब दे दिया है। लिहाजा ग्रामीणों को नदी नालों का दूषित पानी पीकर प्यास बुझाना पड़ रहा है। जिम्मेदार अधिकारी शिकायतों के बाद भी सो रहे ग्रामीणों का कहना है कि पानी के लिए तपती धूप में उन्हें रोज कड़ी मशक्कत करना पड़ता है, तब जाकर उन्हें पानी नसीब हो पाता है। हैंडपंपों से दिनभर में दो-तीन बाल्टी पानी निकलता है जिसके लिए हैंडपंप के पास महिलाओं की भीड़ लगी रहती है और पानी भरने के लिए उनके बीच लड़ाई की स्थिति भी बन जाती है। ज्यादातर लोग गांव से करीब एक किलोमीटर दूर स्टॉप डेम के पास बने झिरिया के पानी पर निर्भर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने जलसंकट से निजात दिलाने एवं बंद पड़ी नल-जल योजना को लेकर अनेकों बार जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायतें की हैं लेकिन अबतक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली है। 80 लाख की योजना से केवल 8 दिन मिला पानी ऐसे ही हाल ग्राम पंचायत खजरी में हैं, जहां भीषण जलसंकट को ध्यान में रखते हुए दो साल पहले मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत करीब 80 लाख रूपये की लागत से पानी टंकी निर्माण एवं पाइपलाइन बिछाया गया था, साथ ही घरों में नलजल योजना के कनेक्शन किये गए थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि लाखों रूपये की लागत से बनकर तैयार हुई इस नलजल योजना से सिर्फ एक मोहल्ले में आठ दिन ही पानी मिला है और पिछले कई महीनों से यह नलजल योजना बंद पड़ी हुई है। गांव में पानी की समस्या को देखते हुए गांव के एक बुजुर्ग ने पानी टंकी बनाने के लिए सड़क किनारे 60 बाई 60 की बेशकीमती जमीन दान में दी थी ताकि गांव के लोग पानी के लिए परेशान न हों। लेकिन ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर पीएचई विभाग के अफसरों ने इस योजना में भी खेल कर दिया।