मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 9 चीतों की मौत के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि चीतों को देश में बसाने में कुछ समस्याएं जरूर हैं, लेकिन चिंता करने जैसा कुछ भी नहीं है। कोर्ट ने केंद्र की दलीलों को स्वीकार करते हुए सुनवाई बंद कर दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत में चीतों को बसाने के प्रोजेक्ट पर सरकार से सवाल पूछने का कोई कारण नहीं है। कूनो में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को लाया गया है। चार शावकों ने यहां जन्म लिया। इनमें से 6 चीतों और तीन शावकों की मौत हुई है। इसी मामले को लेकर याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि दुनिया में पहली बार चीते एक कॉन्टिनेंट से दूसरे कॉन्टिनेंट में शिफ्ट किए गए हैं। चीतों के बाड़े का तापमान ज्यादा होना भी उनके लिए मुश्किल होता है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के कम तापमान के मुकाबले यहां का तापमान ज्यादा रहता है। 1952 में देश में चीते विलुप्त घोषित कर दिए गए थे। चीतों को देश में फिर से बसाने की योजना के तहत विदेशों से चीतों को लाया गया है। दुनिया के मुकाबले कम मृत्युदर केंद्र सरकार ने कहा कि भारत में तमाम चुनौतियों के बाद चीतों की मृत्यु दर दुनिया के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी कम होना उपलब्धि है। अन्य जंगली जानवरों यानी बाघ, तेंदुओं और जंगली सुअरों से इन्हें बचाना बड़ी चुनौती है। इन्फेक्शन और डिहाइड्रेशन चीतों की मौत का बड़ा कारण है। इस मामले में इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स से राय ली जा रही है। हर साल 12 से 14 चीते भारत लाए जाएंगे केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमारी योजना के मुताबिक हर साल औसतन 5 से आठ चीता शावक देश में पैदा होंगे। सरकार अगले पांच साल तक 12 से 14 चीते विदेशों से लाएगी। कूनो में अभी एक शावक सहित 15 चीते हैं। कूनो में चीतों की मौत कब-कब हुई 26 मार्च 2023: साशा की किडनी इन्फेक्शन से मौत नामीबिया से लाई गई 4 साल की मादा चीता साशा की किडनी इन्फेक्शन से मौत हो गई। वन विभाग ने बताया कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था, जिसमें क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था। इससे ये पुष्टि होती है कि साशा को किडनी की बीमारी भारत में लाने से पहले ही थी। साशा की मौत के बाद चीतों की संख्या घटकर 19 रह गई। 27 मार्च 2023: ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इसके साथ ही कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 23 हो गई। 23 अप्रैल 2023: नर चीता उदय की दिल के दौरे से मौत साउथ अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की मौत हो गई। शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में बताया गया कि चीता उदय की मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने से हुई। मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान ने बताया कि हृदय धमनी में रक्त संचार रुकने के कारण चीते की मौत हुई। यह भी एक प्रकार का हार्ट अटैक है। इसके बाद कूनों में शावकों सहित चीतों की संख्या 22 रह गई। 9 मई 2023: मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था। जेएस चौहान ने बताया कि मेल चीते को दक्षा के बाड़े में मेटिंग के लिए भेजा गया था। मेटिंग के दौरान ही दोनों में हिंसक इंटरैक्शन हो गया। मेल चीते ने पंजा मारकर दक्षा को घायल कर दिया था। बाद में उसकी मौत हो गई। इसके बाद कूनों में शावकों सहित चीतों की संख्या 21 रह गई। 23 मई 2023: ज्वाला के एक शावक की मौत मादा चीते ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई। जेएस चौहान ने बताया कि ये शावक जंगली परिस्थितियों में रह रहे थे। 23 मई को श्योपुर में भीषण गर्मी थी। तापमान 46 से 47 डिग्री सेल्सियस था। दिनभर गर्म हवा और लू चलती रही। ऐसे में ज्यादा गर्मी, डिहाइड्रेशन और कमजोरी इसकी मौत की वजह हो सकती है। इसके बाद कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 20 रह गई। 25 मई 2023: ज्वाला के दो और शावकों की मौत पहले शावक की मौत के बाद तीन अन्य को चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया था। इनमें से दो और की मौत हो गई। अधिक तापमान होने और लू के चलते इनकी तबीयत खराब होने की बात सामने आई है। एकमात्र बचे शावक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। इसके बाद कूनो में एक शावक सहित अब 18 चीते ही बचे हैं। 11 जुलाई 2023: मेल चीता तेजस की मौत चीते तेजस की मौत हो गई। उसकी गर्दन पर घाव था, जिसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि चीतों के आपसी संघर्ष में तेजस की जान गई है। 14 जुलाई 2023: मेल चीता सूरज की मौत चीते सूरत की गर्दन पर घाव मिला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि चीतों के आपसी संघर्ष में तेजस की जान गई है। प्रोजेक्ट चीता में शामिल इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अफ्रीका में सर्दियों के लिए चीतों में बालों (फर) की मोटी परत बनती है, भारत की गीली और गर्म कंडीशंस में यही चीतों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में एक्पर्ट्स ने सुझाव दिया है कि घातक इनफेक्शन से निपटने और चीतों की मौतें रोकने के लिए चीतों के शरीर से इस फर को हटा देना चाहिए।
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