ब्रेन स्ट्रोक के बाद समय पर इलाज मिलने से ठीक हुए पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने रविवार को रहा कि यह उनका तीसरा जन्म है। जद (एस) नेता ने ईश्वर और उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें राज्य के लोगों के बीच रहने के लिए नया जीवन मिला है कुमारस्वामी ने अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले लोगों से स्ट्रोक और लकवे के लक्षणों को हल्के में न लेने की अपील भी की। उन्होंने कहा,'पिछले पांच दिनों से मेरे कुछ दोस्त डरे हुए थे। अब मैं आपसे बात कर रहा हूं, तो मुझे कहना होगा कि मुझे पुनर्जन्म मिला है।' उन्होंने आगे कहा, मेरे स्वास्थ्य के संबंध में भगवान ने मुझे तीसरा जन्म दिया है। अगर किसी व्यक्ति को एक जन्म मिलता है, तो मेरे मामले में मेरा मानना है कि 64 की उम्र में मुझे तीसरा जन्म मिला है। कुमारस्वामी को 30 अगस्त की सुबह शहर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें स्ट्रोक आया था, जो बाद में पूरी तरह से ठीक हो गया। जद (एस) नेता ने कहा कि वह 30 अगस्त को देर रात करीब दो बजे उठे और महसूस किया कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। जद (एस) नेता ने कहा कि उन्होंने तुरंत अपने बहनोई और प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ सीएन मंजूनाथ को फोन किया और बाद में एक न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श किया, जिन्होंने उन्हें भर्ती होने की सलाह दी। कुमारस्वामी ने राज्य के लोगों से अपील की कि जब भी उन्हें इस तरह के लक्षण मिलें तो वे एक मिनट भी बर्बाद न करें। उन्होंने कहा, 'मुझे रात दो बजे स्ट्रोक के लक्षण महसूस हुए। अगर मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया होता और कहा होता कि मैं सुबह डॉक्टर के पास जाऊंगा, तो मैं अपना शेष जीवन स्थायी रूप से बिस्तर पर बिताता।' उन्होंने कहा कि कभी यह मत सोचो कि डॉक्टर पैसा कमाने के लिए काम कर रहे हैं क्योंकि जब मरीज आता है, तो वे ईमानदारी से उन्हें बचाने का प्रयास करते हैं। इस अवसर पर प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट और निमहांस के पूर्व निदेशक डॉ.पी सतीशचंद्र ने कहा कि लोगों को स्ट्रोक का पता लगाने के लिए बीई-फास्ट विधि के बारे में पता होना चाहिए, जहां बी का मतलब बैलेंस, ई का मतलब आंखें, एफ का फेस, ए का मतलब आर्म्स, एस का मतलब स्पीच और टी का मतलब टाइम होता है। उन्होंने कहा, 'ये पांच लक्षण हैं। अगर बांह में ताकत कम है, अगर कोई लड़खड़ाता है या हकलाता है, आंखों में दिक्कत होती है, चेहरे में बदलाव होता है, तो बिना समय बर्बाद किए अस्पताल पहुंचें।' डॉ. सतीशचंद्र ने कहा कि मरीज को सही अस्पताल ले जाना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जिस अस्पताल में मरीज को ले जाया जाता है, उसे आघात के लिए तैयार होना चाहिए।
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